गुरुवार, 10 मार्च 2016

गुलाब सा चेहरा

गुलाब को उसके काँटों की वजह से मत छोड़ो 
अवगुणों की वजह से गुणों को मत छोड़ो 

गुजारा है जो वक़्त साथ-साथ , वो बोलता ही मिलेगा 
खुशबुएँ साथ-साथ चलती हैं ,
वरना दिल तन्हा ही मिलेगा 
सारी खरोंचें जायेंगी भर ,गुलाब सा चेहरा दमकता ही मिलेगा 

गुलाब को उसके काँटों की वजह से मत छोड़ो 
अवगुणों की वजह से गुणों को मत छोड़ो

रुकना नहीं है वक़्त ने ,ये तू भी देख ले 
हर आज बना कल , और कल का क्या वज़ूद 
जो चीज कीमती है , गई हाथों से यूँ फिसल 
भर ले उसे सीने में , खुशबू सा समां महकता ही मिलेगा 

गुलाब को उसके काँटों की वजह से मत छोड़ो 
अवगुणों की वजह से गुणों को मत छोड़ो







5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (11.03.2016) को "एक फौजी की होली " (चर्चा अंक-2278)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " आधुनिक भारत के चींटी और टिड्डा - ब्लॉग बुलेटिन " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. सच कहा है ... अच्छाइयों को अपनाओ पर काँटों के लिए त्यागो नहीं ...

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  4. सच बात गुलाब को अपनाने की वजहें कई है

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मैं भी औरों की तरह , खुशफहमियों का हूँ स्वागत करती
मेरे क़दमों में भी , यही तो हैं हौसलों का दम भरतीं