जलो तो चरागों की तरह जलो
शबे-गम के इरादों की तरह जलो
किसने देखी है सुबह
आफताब के वादों की तरह जलो
कतरा कतरा काम आये किसी के
किसी काँधे पे दिलासे की तरह जलो
लगा के तीली रौशन हो जाये
सुलगते हुए सवालों की तरह जलो
हवा आँधी तूफाँ तो आयेंगे
टक्कर के हौसलों की तरह जलो
मिट्टी की महक वाज़िब है
खुदाओं के शहर में मसीहों की तरह जलो
दिव्य हिमाचल टीवी | सतपाल ख़याल | नई ग़ज़ल
2 दिन पहले