गैर के खेमे में
अपना कोई वश नहीं चलता
हजार बातेँ हैं
दिल कहीं नहीं लगता
नन्हा कोई पौधा
मिट्टी की कोख में पलता
अच्छे होने की निशानी क्या है
साथ कोई नहीं चलता
साथ चलने से दब जाएगा वजूद
अना का कोई किनारा नहीं मिलता
इम्तिहान है ज़िन्दगी
नतीजा कुछ भी मिलता
हौसला है तो जँग जीती सी
इसी दम पे सिपह-सालार नहीं हिलता
Satpal Khayaal at Rekhta Mushaira
1 दिन पहले